
दीनदयाल साहू दुधावा
कांकेर। सरोना विकासखंड का ग्राम मुसुरपुट्टा अब धर्मांतरण का विरोध करने वाला कांकेर जिले का सातवां गांव बन गया है। शुक्रवार को आयोजित बैठक में धमतरी व कांकेर जिले के 20 गांवों के समाज प्रमुखों ने एकजुट होकर ऐलान किया –
👉 “अब गांव में पादरी, पास्टर और धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों का प्रवेश सख्त मना है।”
बैठक के बाद ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार पर बड़ा बोर्ड लगाकर इसका स्पष्ट संदेश भी दे दिया है।
🔴 क्यों लिया गया यह निर्णय?
गांव के 25 परिवारों ने धर्म परिवर्तन किया था।
3 परिवार वापस समाज में लौटे, लेकिन 5 परिवार अब भी दूसरे धर्म का पालन कर रहे हैं।
इससे गांव का माहौल बिगड़ रहा था और परंपराओं पर असर पड़ रहा था।
🗣️ ग्रामीणों की राय
सर्व आदिवासी समाज अध्यक्ष नंदलाल मंडावी ने कहा –
“हम ईसाई धर्म का विरोध नहीं कर रहे, पर भोले-भाले आदिवासियों को प्रलोभन देकर कराए जा रहे धर्मांतरण का विरोध कर रहे हैं।”
ग्रामीणों ने पेशा अधिनियम 1996 और संविधान की पांचवीं अनुसूची का हवाला देते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति और परंपरा की रक्षा का अधिकार है।
📌 पहले कुडाल गांव ने दी थी शुरुआत
कांकेर जिले में सबसे पहले भानुप्रतापपुर ब्लॉक के कुडाल गांव ने यह कदम उठाया था। अब मुसुरपुट्टा समेत कुल 7 गांवों में पादरी और पास्टर के प्रवेश पर रोक लग चुकी है.