चन्द्रभान साहू बासनवाही

बासनवाही- संतान की सुख-समृद्धि की कामना का पर्व हलषष्टी कमरछठ श्रद्धा व उत्साह से बुधवार को ग्राम छापरपारा में मनाया गया। इस अवसर पर माताओं ने संतान की लंबी आयु की कामना को लेकर निर्जला व्रत रखा। सगरी बनाकर उसमें जल डालकर पूजा अर्चना कर संतान की दीर्घायु की कामना की।
इस अवसर पर सागर दास वैष्णव ने विधि विधान से पूजा करवाई। महिलाओं ने पूजा के लिए बनाई गई सगरी तालाब कुंड की परिक्रमा कर पूजा में पसहर चावल व छह प्रकार की भाजी का भोग लगाया गया और प्रसाद को ग्रहण कर महिलाओं ने व्रत तोड़ा। व्रती महिलाओं ने बताया कि कमरछठ पर्व पर संतान की लंबी आयु के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।इस अवसर पर महिलाएं सुबह स्नान-ध्यान कर दोना व टोकनी में पूजन सामग्री लेकर गांव में सागरदास वैष्णव के घर पहुंचीं और पूजा स्थल को गोबर से लीपा व गड्ढा खोदकर सगरी बनाई। कुंड के चारों ओर मुरबेरी का पेड़, ताग, पलाटा की शाखा बांधकर हरछठ को गातथा भगवान गणेश, शंकर, माता पार्वती की पूजा की। पूजा के दौरान पसहर चावल के व्यंजन का भोग लगाया, साथ ही महुआ, चना, भैंस के दूध, दही, घी, जौ, गेहूं, धान मक्का आदि भी अर्पित कर पूजा अर्चना की।

मावलीपारा,मांडाभर्री में भी महिलाओ ने ऱखा व्रत

मावली पारा में भी महिलाओं ने अपनी संतान की दीर्घायु के लिए हलषष्ठी का व्रत रखा ,इस दिन महिलाएं ऐसे खेत में पैर नहीं रखती जहॉ हल चला होता है बिना हल के उपजे अनाज व दूध दही का सेवन करती है , भैंस के दूध का ही पूजन में उपयोग किया जाता है। सुबह महुवा के दांतून से दातून करते है हलषष्ठी के दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम का पसहर के चावल सेवन करती है।मुसुरपुट्टा ,मावलीपारा ,बांगाबारी मांडाभर्री में भी माताओ ने हलषष्टी का व्रत कर विधि विधान से पूजन किया। 6 प्रकार की कथा कहा भी कहा गया।इस अवसर पर संतोषी साहू,लिहेश साहू,नेह शुक्ला,ममता साहू,लता साहू,अनिता मंडावी, तुलसी साहू,चंद्रिका विश्वकर्मा, महिमा यादव,केसरी ठाकुर,पुष्पा साहू,हीरा बती नाग,गरिमा साहू,दिनेश्वरी तारम, अर्चना पांडे,सोहद्री नेताम,उर्वशी साहू,निर्मला साहू,दुर्गा नेताम,राज बाई नेताम,लीलेश्वरी चुरगियाँ, संगीता कुलदीप,सहित सभी व्रती महिला उपस्थित थे।
हल की पूजा का प्रावधान
मान्यतानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस अवसर पर उनके साथ उनके अस्त्र हल व बैल की भी पूजा की जाती है। पूजा के बाद व्रत पारणा में भी हल से उपजे अन्न का उपयोग नहीं किया जाता।इस अवसर पर उषा वैष्णव कीर्ति साहू लता पटेल जागृति साहू भूमिका बेष्णव सुष्मिता पटेल एवं व्रती महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।