
कांकेर-संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन के लिए नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में माताओं ने कमरछट (हलषष्ठी) व्रत बड़े श्रद्धा भाव से रखा। इस अवसर पर जिले के सरोना तहसील के ग्राम मावलीपारा में भी महिलाओं ने भगवान बलराम और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। परंपरा के अनुसार माताओं ने सगरी (कच्चा कुंड) में जल भरकर हलषष्ठी माता का स्मरण किया और संतान की मंगलकामना की।
व्रत में महिलाओं ने दिनभर निर्जला उपवास रखते हुए संतान की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। वहीं, निःसंतान माताओं ने भी हलषष्ठी माता से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से संतान को लंबी आयु और सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है।
पौराणिक कथा
किंवदंती के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हुआ था। इसी कारण इस दिन को हलषष्ठी या बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। बलराम जी को हल (हल चलाने का औजार) प्रिय होने के कारण इस दिन हल से जुते खेतों की फल-सब्जी नहीं खाई जाती।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक महिला ने संतान जन्म के छह दिन बाद खेत में काम करने की भूल की, जिससे उसकी संतान को नुकसान हुआ। तब गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने उसे हलषष्ठी माता का व्रत करने की सलाह दी। व्रत करने से उसकी संतान स्वस्थ हो गई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।