बच्चों के तन पर पुरानी ड्रेस नाले में पड़े थे सरकारी गणवेश—नदी में बहते मिला छात्र छात्राओं को बांटे जाने वाला यूनिफार्म—

शासन की योजना के तहत स्कूलों में कक्षा पहली से कक्षा आठवीं तक के अनुसूचित जाति, जनजाति एवं गरीबी रेखा के नीचे वाले छात्र-छात्राओं को निःशुल्क यूनिफॉर्म वितरण किया जाता है।पर लापरवाही के चलते हर साल विलंब होता है या पहुंचता है पर वितरण नहीं हो पाता –कई बार दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों में बच्चे पुराने कपड़ों में ही स्कूल आते दिख जायेंगे ।भ्रष्टाचार अब गरीब बच्चों के कपड़ों को भी कुतर रही है।

ताज़ा उदाहरण कोरबा जिले का है जहाँ सैकड़ों की संख्या में बिलकुल नए गणवेश नाले में पड़े मिले हैं। करीब 500 की संख्या में नीले रंग के ट्यूनिक, पेंट और कमीज का गट्ठर किसी ने बच्चों की बजाय नाले के हवाले करने की कोशिश की। गणवेश जब्त कर शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

जिला मुख्यालय से लगे ग्राम नकटीखार के पिकनिक स्थल नाले में बच्चों को बांटे जाने वाले यूनिफार्म का गठ्ठा पानी में बहता हुआ स्थानीय युवकों ने देखा। उत्सुकतावश पास जाकर देखा तो सभी कपड़े बिल्कुल नए निकले। शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शासन की ओर से निःशुल्क गणेवश की सुविधा प्रदान की जाती है। ऐसा इसलिए, ताकि उन्हें निर्धनता के चलते फटे-पुराने कपड़े कम से कम स्कूली शिक्षा की राह में रोड़ा न बन सके। जरूरतमंद वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा की राह प्रशस्त करने शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना में विभागीय अमले की लापरवाही बेवहज की मुश्किलें पैदा कर रहीं। गणवेश को समय रहते वितरित नहीं कर पाने की नाकामी छुपाने इस तरह का कदम स्वीकार योग्य नहीं। इस तरह बच्चों के लिए सिलाए गए गणवेश को नाले में बहाने की कोशिश कर प्राइमरी व मिडिल के छात्र-छात्राओं के लिए संचालित इस योजना का मजाक बनाया जा रहा, जो किसी भी नजरिए से उचित नहीं। सरकारी गणवेश की यह गठरी शनिवार को नकटीखार स्थित नाले में पाई गई है।

जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए जांच के आदेश

जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडेय का कहना है कि नाले में मिले गणवेश नए तो हैं, पर कम से कम दो साल पहले के हैं। संभवतः वितरण न हो पाने पर कार्रवाई से बचने के लिए ही किसी ने उन्हें नाले में फेंककर छुपाने की कोशिश की होगी। पांडेय ने कहा कि नाले में मिले गणवेश जिला खनिज न्यास मद की राशि के नहीं, बल्कि शासन से सीधे तौर पर भेजी गई खेप है। इसका डीएमएफ से लेना-देना नहीं। रायपुर से गणवेश जिले के 118 संकुलों में सीधे आते हैं, जहां से स्कूलों को भेज दिए जाते हैं। इस मामले की जांच कर रहे हैं। दोषी पर विभागीय जांच के साथ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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