नरहरपुर के मावलीपारा ,धनोरा में भी संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी का व्रत…

जिले के नरहरपुर विकासखण्ड के मावलीपारा,धनोरा और सल्हेटोला में भी हलषष्ठी (हरछठ) पर्व महिलाओं द्वारा व्रत रख मनाया गया,माताओं ने अपने पुत्र की दीर्घायु तो वहीं निः संतान महिलाओं ने पुत्र की कामना हेतु यह व्रत विधि विधान से किया। महिलाओं ने व्रत रखकर सगरी में जल अर्पित किया और भगवान शिव की विशेष पूजा की। इसके बाद पसहर चावल का सेवन कर उपवास तोड़ा।हलषष्ठी पर्व जिले में धूमधाम के साथ मनाया गया। पूजा पाठ की तैयारी को लेकर महिलाएं सुबह से ही जुटी रहीं। बच्चों की सुख समृद्घि तथा दीर्घायु की कामना को लेकर माताओं ने व्रत रखा। हलषष्ठी के दिन को प्रमुख रुप से भगवान बलराम का जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

धनोरा में व्रती महिलाएं पिंकी कौशिक, कौशिल्या मानिकपुरी,कुंती सेन,खेमा सेन,मोतिन साहू,रेवती धनकर,सुषमा मानिकपूरी ,संतोषी मानिकपुरी सहित आदि ने बताया कि कमरछठ पर्व पर संतान की लंबी आयु के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान-ध्यान कर सामूहिक रुप से सगरी में जल अर्पित कर आरती करती हैं तथा संतान की लंबी उम्र की कामना की जाती है।

मावलीपारा में व्रती महिलाएं संतोषी साहू, नेहा शुक्ला, लिहेश साहू,मालती साहू ,मानसी साहू,ममता साहू,महिमा यादव,तुलसी साहू,लतिका साहू,हीरा बाई नाग,ललेश्वरी यादव, राज बाई नेताम,सुभद्रा नेताम,अर्चना पांडे,निर्मला साहू,सगनी यादव,सत्यभामा भोयर,दुर्गा नेताम,हीरा बत्ती चनाप,लच्छो बाई मानिकपुरी, संगीता मानिकपुरी,दिनेश्वरी तारम,चंद्रिका विश्वकर्मा,आदि ने बताया की भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म इसी दिन हुआ था। इस अवसर पर उनके साथ उनके हल व बैल की भी पूजा की जाती है। पूजा के बाद व्रत पारणा में भी हल से उपजे अन्न का उपयोग नहीं किया जाता। इसलिए कमरछठ व्रत रखने वाली माताएं बिना हल चली जमीन पर पैदा होने वाले पसहर चांवल का सेवन का उपवास तोड़ती हैं।